मध्य प्रदेश पूर्णताः भू आवेष्ठित राज्य है मध्य प्रदेश भारत के हृदय में स्थित ऐसा राज्य है जहां पर्वत, पठार और मैदानों में संतुलन विद्यमान है।

भू वैज्ञानिक दृष्टि से मध्य प्रदेश प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का भाग है।  गोंडवाना शैल समूह को लोवर गोंडवाना , मिडिल तथा अपर गोंडवाना समूह में बांटा गया है ।

भौतिक संरचना की दृष्टि से मध्य प्रदेश प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग के अंतर्गत आता है।

प्रदेश के पश्चिमी भाग में दक्कन ट्रैप की चट्टाने है , दक्कन ट्रैप एक विशेष प्रकार की संरचना है जिसका निर्माण क्रेटियस  काल में दक्कन उद्भेदन अथवा ट्रेप से हुआ अर्थात ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ , इसी समय ज्वालामुखी लावा से बेसाल्ट चट्टानों का निर्माण हुआ तथा इन्हीं चट्टानों के क्षरण से काली रेगूर मिट्टी का निर्माण हुआ । भारत में इसका विस्तार पश्चिमी भारत अर्थात महाराष्ट्र , गुजरात में है मध्य प्रदेश मे इसका विस्तार पश्चिमी मध्य प्रदेश में है ।

मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति

मध्य प्रदेश का  विस्तार उत्तरी अक्षांश मे 21 डिग्री 6′  से  26 डिग्री 30′ तथा पूर्वी देशांतर मे 74 डिग्री 59′ से  82 डिग्री 61′ है मध्य प्रदेश की पूर्वी और पश्चिमी भाग में लगभग 8 डिग्री 2 मिनट का अंतर है अर्थात मध्य प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी भाग में (1 डिग्री = 4 मिनट , 8 × 4 मिनट + 2 मिनट = 34 मिनट ) 34 मिनट का अंतर है ।

मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर तथा छत्तीसगढ़ के किरार घाटी विवाद के कारण कहीं-कहीं  3,08,245 वर्ग किलोमीटर भी दर्शाया गया है मध्य प्रदेश की उत्तर से दक्षिण लंबाई 605 किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई 870 किलोमीटर है मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल , भारत के क्षेत्रफल का 9.38 % है ।

क्षेत्रफल के आधार पर भारत के 6 बड़े  राज्य क्रमशः राजस्थान मध्य प्रदेश महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश गुजरात और कर्नाटक है ।

Trick – राम महान उत्तर गुजरात के

रा म – राजस्थान मध्य प्रदेश

महान – महाराष्ट्र

उत्तर – उत्तर प्रदेश

गुजरात – गुजरात

के – कर्नाटक ( 6 वा राज्य क्षेत्रफल में ) ।

कर्क रेखा ( 23.5 उत्तरी अक्षांश ) मध्य प्रदेश को लगभग दो भागों में विभाजित करते हुए निकलती है यह मध्य प्रदेश के 14 जिलों से होकर गुजरती है रतलाम , उज्जैन , शाजापुर ,  राजगढ़ , सीहोर , भोपाल , विदिशा , रायसेन , सागर , दमोह , जबलपुर , कटनी , उमरिया , शहडोल । भोपाल संभाग के सभी जिले से होकर कर्क रेखा गुजरती है ।

मध्यप्रदेश का उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर विस्तार
कर्क रेखा पर स्थित जिले एवं उत्तरी अक्षांश और पूर्वी देशांतर में विस्तार

 

कर्क रेखा भारत के 8 राज्यों गुजरात ,राजस्थान , मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ , झारखंड , पश्चिम बंगाल , त्रिपुरा और मिजोरम से होकर गुजरती है ।

82.5 पूर्वी देशांतर मानक समय निर्धारित रेखा मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले को स्पर्श करते हुए निकलती है ।

82.5 पूर्वी देशांतर मानक समय निर्धारित रेखा भारत के 5 राज्यों उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , उड़ीसा तथा आंध्र प्रदेश से होकर गुजरती है ।

मध्य प्रदेश का सबसे उत्तरी जिला मुरैना , दक्षिणी जिला बुरहानपुर , पूर्वी जिला सिंगरौली तथा सबसे पश्चिमी जिला अलीराजपुर है।

“फिजियोग्राफी मैप ऑफ इंडिया” मे मध्य प्रदेश को 3 भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है ( छत्तीसगढ़ विभाजन से पहले 9 भागो में बांटा गया था ) जो निम्न प्रकार हैं

  1. मध्य उच्च प्रदेश 
  2. सतपुड़ा मैकल श्रेणी
  3. बघेलखंड का पठार या पूर्वी पठार
मध्य प्रदेश का भौगोलिक एवं प्राकृतिक विभाजन
मध्य प्रदेश का भौगोलिक एवं प्राकृतिक विभाजन

मध्य उच्च प्रदेश 

मध्य उच्च प्रदेश ,नर्मदा सोन घाटी एवं अरावली श्रेणियों के बीच त्रिभुजाकार स्थित है इसकी उत्तरी सीमा साधारण तय यमुना नदी द्वारा बनाई जाती है , विंध्याचल भांडेर कैमूर श्रेणियां इसी प्रदेश का भाग है जो नर्मदा सोन घाटी के उत्तर में स्थित हैं  मध्य उच्च प्रदेश गंगा नदी बेसिन का हिस्सा है जो मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा नदी बेसिन है ।मध्य उच्च प्रदेश को पांच भागों में विभाजित किया गया है जो निम्न है

1. मालवा का पठार – 

  • मालवा का पठार मध्यप्रदेश के क्षेत्रफल 28.2% है, जो कि 86,927 वर्ग किलोमीटर है ।
  • इस पठार का विस्तार मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में है यह दक्कन ट्रैप की लावा निर्मित बेसाल्ट चट्टानों से बना है जिसके क्षरण से काली मिट्टी का निर्माण हुआ है।
  • इसके पश्चिम में अरावली तथा पूर्व में रीवा पन्ना का पठार , उत्तर-पूर्व में बुंदेलखंड का पठार , उत्तर में मध्य भारत का पठार तथा दक्षिण में नर्मदा सोन घाटी स्थित है ।
  • विंध्याचल पर्वत श्रेणी इसके दक्षिण में स्थित है । जिसका विस्तार पश्चिम से पूर्वी मध्य प्रदेश तक है । इस पठर की सबसे ऊंची चोटी सिगार(881 मी.) , जानापाव(854 मी.) तथा छजारी(810 मी.) है ।
  • मालवा के पठार के अंतर्गत सोनवाड़ा पठार , उमाट्ठवाडा पठार , भोपाल का पठार , सागर पठार तथा विदिशा उच्च भूमि स्थित है।
  • मालवा पठार के अंतर्गत गुना , विदिशा , राजगढ़ , शाजापुर , आगर मालवा , उज्जैन , रतलाम , नीमच , उज्जैन , धार , झाबुआ अलीराजपुर , देवास , इंदौर , सीहोर , भोपाल , रायसेन मंदसौर आदि जिले आते हैं ।
  • मालवा के पठार की प्रमुख नदियां चंबल , क्षिप्रा , माही , कालीसिंध , पार्वती , बेतवा है । मालवा के पठार का ढाल उत्तर की ओर होने के कारण सभी नदियां यमुना की सहायक है ।
  • यहां की प्रमुख फसलें गेहूं ,कपास , सोयाबीन है।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी यात्री फाह्यान ने मालवा की जलवायु को विश्व की श्रेष्ठ जलवायु कहा है , मालवा के पठार की जलवायु सम जलवायु मानी जाती है , जहां ना ज्यादा गर्मी और ना ज्यादा ठंड हो ।
  • मालवा शब्द “मालव” जाति के नाम पर पड़ा है जिसका उल्लेख 400 ईसा पूर्व मिलता है इस जाति की सेना सिकंदर से युद्ध मे पराजित होकर पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों से अवंती वर्तमान उज्जैन व उसके आसपास के क्षेत्रों में बस गए तथा  दशाणर् (आकर) तथा अवंती को अपने राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया । दशाणर् की राजधानी विदिशा तथा अवंती की राजधानी उज्जैन को बनाया , बाद में दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाए।

 2.  मध्य भारत का पठार (चंबल उपआद्र जलवायु प्रदेश) –

  • मध्य भारत का पठार , मध्यप्रदेश के क्षेत्रफल का 10.7% है जो क्षेत्रफल  मे 32,921 वर्ग किलोमीटर के बराबर है ।
  • यह उत्तर प्रदेश और राजस्थान से लगा हुआ है यह मध्य प्रदेश का पठारी भाग है जो विंध्यान शैल समूह का हिस्सा है ।
  • मध्य भारत पठार का ढाल उत्तर पूर्व दिशा में है जिसके कारण इस पठार में प्रवाहित होने वाली नदियां यमुना नदी की सहायक है । मध्य भारत पठार में चंबल , सिंध , पार्वती कुंवारी , कूनो नदि प्रवाहित होती हैं ।
  • इस पठार में लश्कर का मैदान और शिवपुरी का पठार स्थित है इस पठार के उत्तरी भाग में जलोढ़ (कछारी) मिट्टी तथा दक्षिणी भाग में काली मिट्टी का विस्तार है।
  • चंबल नदी द्वारा इस पठार में बीहड़ों का निर्माण किया गया है यहां नदी द्वारा मिट्टी का अवनालिका अपरदन किया है जिससे चंबल घाटी क्षेत्र भी कहते हैं ।
  • मध्य भारत पठार के अंतर्गत भिंड , मुरैना , श्योपुर , ग्वालियर , गुना , शिवपुरी तथा नीमच आदि जिले आते हैं ।

3. बुंदेलखंड का पठार-

  • बुंदेलखंड पठार का क्षेत्रफल मध्य प्रदेश के 7.7 % के बराबर है , जो क्षेत्रफल में 23,735 वर्ग किलोमीटर है ।
  • बुंदेलखंड पठार के उत्तर में यमुना नदी के जलोढ़ मैदान , दक्षिण में विंध्याचल तथा पूर्व में बघेलखंड और पश्चिम में मालवा के पठार विस्तार है ।
  • प्री कैंब्रियन युग में ग्रेनाइट व नीस चट्टान से इस पठार का निर्माण हुआ है ।
  • इस पठार की सबसे ऊंची चोटी सिद्ध बाबा  है ।
  • इस पठार का ढाल उत्तर की ओर है जिसके कारण यहां प्रवाहित केन , बेतवा , उर्मिल , धसान , बीना , पहुजा , यमुना की सहायक नदियां हैं ।
  • बुंदेलखंड पठार का विस्तार सागर , दमोह , टीकमगढ़ , निमाड़ी , छतरपुर , अशोकनगर तथा दतिया आदि जिलों में है ।
  • इस पठार के उत्तर में जलोढ़ मिट्टी का तथा दक्षिण में लाल पीली मिट्टी का विस्तार है ।

4. रीवा पन्ना का पठार (विंध्यन कगारी क्षेत्र) –

  • रीवा पन्ना का पठार, मध्यप्रदेश के क्षेत्रफल का 10.3% है , जो कि क्षेत्रफल में 31,749 वर्ग किलोमीटर है ।
  • रीवा पन्ना के पठार में बिजावर श्रेणी का विस्तार है इस श्रेणी में कडप्पा शैल समूह तथा विंध्य शैल समूह की चट्टानें का विस्तार है ।
  • कडप्पा शैल की किंबरलाइट पाइप में हीरा पाया जाता है जिसका विस्तार पन्ना और सतना जिले में है तथा विंध्य शैल समूह में चूना पत्थर की अधिकता है । इस पठार की प्रमुख नदियां टोंस , सोन , केन तथा बीड़हन है ।
  • इस पठार में लाल पीली मिट्टी का विस्तार है ।
  • इस पठार के अंतर्गत रीवा , सतना , पन्ना , दमोह आदि जिले आते हैं।
  • इस पठार की सबसे ऊंची चोटी  सद्भावना हिल्स रीवा में है ।

 5. नर्मदा सोन घाटी –

  • नर्मदा सोन घाटी , मध्यप्रदेश के क्षेत्रफल का 27.4% है , जो कि क्षेत्रफल में 84,461 वर्ग किलोमीटर है ।
  • नर्मदा सोन घाटी , भारत की सबसे बड़ी रिफ्ट वैली या भ्रंश घाटी है यह मध्य प्रदेश का सबसे निचला हिस्सा है ।
  • नर्मदा सोन घाटी के समांतर दक्षिण में सतपुड़ा श्रेणी तथा उत्तर में विंध्याचल श्रेणी स्थित है नर्मदा सोन घाटी का विस्तार पश्चिम से पूर्व तक पूरे मध्यप्रदेश में है ।
  • नर्मदा सोन घाटी में पूर्व भाग अर्थात सोन घाटी सकरी है परंतु पश्चिम की ओर बढ़ने पर अर्थात नर्मदा घाटी की ओर बढ़ने पर चौड़ाई अधिक है ।
  • विंध्याचल श्रेणी को भारत के जल विभाजक के रूप में जाना जाता है ।
  • यह की प्रमुख नदियां नर्मदा , सोन , जोहिला , तवा , शक्कर शेर , हिरण , वारना आदि है नर्मदा की 41 सहायक नदियां हैं ।
  • नर्मदा सोन घाटी में गहरी काली ,छिछली तथा साधारण काली मिट्टी का विस्तार है ।
  • नर्मदा सोन घाटी के अंतर्गत डिंडोरी , मंडला ,जबलपुर , नरसिंहपुर , होशंगाबाद , हरदा , देवास , धार खंडवा , खरगोन , अलीराजपुर आदि जिले आते हैं ।

सतपुड़ा मैकल श्रेणी –

सतपुड़ा मैकल श्रेणी , मध्यप्रदेश के क्षेत्रफल के 11% के बराबर है , जो कि क्षेत्रफल में 33,709 वर्ग किलोमीटर है।

सतपुड़ा मैकल श्रेणी को तीन भागों में बांटा गया है जो निम्न है ।

1. पश्चिमी सतपुड़ा श्रेणी (राज पीपला श्रेणी) –

  • इस श्रेणी का विस्तार पश्चिमी सतपुड़ा में बड़वानी से बुरहानपुर दर्रे तक है , इसे राज पीपला श्रेणी के नाम से जाना जाता है ।
  • इसके अंतर्गत राजपीपला पहाड़ी , बड़वानी पहाड़ी , बीजागढ़ पहाड़ी , अखरानी पहाड़ी तथा असीरगढ़ पहाड़ी आती हैं ।

2. पूर्वी सतपुड़ा श्रेणी –

  • इसका विस्तार बुरहानपुर दर्रे के पूर्व में ग्वालिगढ की पहाड़ी , महादेव पहाड़ी तथा बैतूल पठार और छिंदवाड़ा के पठार तक है । बैतूल पठार में स्थित भैंसदेही का पठार ताप्ती नदी के कारण मृदा अपरदन की समस्या से ग्रस्त है ।
  • महादेव पहाड़ी पर धूपगढ़ चोटी स्थित है जिसकी ऊंचाई 1350 मीटर है जो मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी है पचमढ़ी हिल स्टेशन जो मध्य प्रदेश की एकमात्र हिल स्टेशन है यही स्थित है यहां औसत वर्षा मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 200 सेंटीमीटर होती है ।

3. मैकल श्रेणी –

  • पूर्वी सतपुड़ा श्रेणी के पूर्व में अर्धचंद्राकार मैकल श्रेणी का विस्तार है इसकी सबसे ऊंची चोटी अमरकंटक है जिसकी ऊंचाई 1127 मीटर है यहीं से नर्मदा ,सोन और जोहिला नदि का उद्गम हुआ है ।
  • यहां वर्षा का प्रतिशत पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ता है पश्चिम में औसत वर्षा 100 से 125 सेंटीमीटर तथा पूर्व में 150 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर वर्षा होती है ।
  • सतपुड़ा मैकल श्रेणी के पश्चिमी भाग में काली मिट्टी का विस्तार है तथा पूर्वी भाग में लेटराइट तथा लाल पीली मिट्टी का विस्तार है ।

 

मध्य प्रदेश की पर्वत चोटियों एवं पठार
मध्य प्रदेश की पर्वत चोटियों एवं पठार

बघेलखंड का पठार (पूर्वी पठार) –

  • बघेलखंड का पठार , मध्यप्रदेश के क्षेत्रफल का 7% के बराबर है , जोकि क्षेत्रफल में 21,577 वर्ग किलोमीटर है ।
  • यह पठार मध्य प्रदेश के उत्तर पूर्व में स्थित है इसके अंतर्गत सीधी , सिंगरौली ,अनूपपुर , शहडोल , कटनी और उमरिया आते हैं ।
  • इस पठार में गोंडवाना शैल समूह का विस्तार है जिसमें मुख्य रूप से कोयला पाया जाता है शहडोल , उमरिया , सीधी  , सिंगरौली मध्य प्रदेश के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र है
  • इस पठार के पश्चिमी क्षेत्र में विंध्यान शैल समूह तथा धारवाड़ शैल समूह का विस्तार है ।
  • छत्तीसगढ़ से प्रथक होने के बाद पूर्वी बघेलखंड छत्तीसगढ़ में शामिल हो गया बघेलखंड में कैर्मूस श्रेणी का विस्तार है ।

लेखक – श्री मनोज सिसोदिया Fighter Academy

 

 

 

 

 

 

 

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