झाबुआ जिला (District Jhabua) के बारे में

  • झाबुआ जिले District Jhabua की स्‍थापना सन् 1956 को की गई थी। झाबुआ शहर ‘’बहादुरसागर’’ नामक झील के किनारे स्थित है। झाबुआ भू‍तपूर्व मध्‍य भारत में एक राज्‍य भी था। झाबुआ जिले में डोलोमाइट पाया जाता है। झाबुआ जिले District Jhabua का प्रमुख औधोगिक केन्‍द्र मेघनगर है।

 

गठन वर्ष 1956
मुख्‍यालय झाबुआ

झाबुआ जिला का क्षेत्रफल क्षेत्रफल

3600 वर्ग कि.मी. (45 वाँ स्‍थान)

प्रमुख नदियाँ झाबुआ जिले की

अनास, माही

   सीमावर्ती जिले- झाबुआ जिले के

उत्‍तर रतलाम दक्षिण अलीराजपुर
पूर्व धार पश्चिम गुजरात

 

झाबुआ जिले में ग्रामों की संख्‍या

813 (30 गैर-आबादी)

झाबुआ जिले में तहसील

05 ( झाबुआ, रानापुर, पेटलावाद, थांदला, मेघनगर)

विकासखण्‍ड 05 ( झाबुआ, रानापुर, पेटलावाद, थांदला, मेघनगर)
झाबुआ जिले की जनसंख्‍या 10,25,048 (39 वाँ स्‍थान)
जनसंख्‍या घनत्‍व 285 प्रति वर्ग कि.मी.(12 वाँ स्‍थान)
जनसंख्‍या वृध्दि दर 30.70 %
लिंगानुपात 990 प्रति हजार पुरूष( 5 वाँ स्‍थान)
शिशु लिंगानुपात 943 प्रति हजार बालक
कुल साक्षरता दर 43.30 %
पुरूष साक्षरता दर 52.85 %
महिला साक्षरता दर 33.77 %

 

झाबुआ जिले का सामान्य ज्ञान

  • झाबुआ जिले की ‘खाल खांडवी’ पंचायत की सरपंच वंदना बहादुर मेढ़ा को संयुक्‍त राष्‍ट्र वूमन कैलेन्‍डर के मई 2013 के पृष्‍ठ पर स्‍थान दिया गया था।
  • जिले से राष्‍ट्रीय राजमार्ग नेशनल हाईवे – 59 होकर गुजरता है।
  • काली मिट्टी की अधिकता वाला झाबुआ जिले में देवाझिरी का बरसाती झरना आकर्षक है।
  • झाबुआ जिले की तहसील मुख्‍यालय और नगर पंचायत पेटलावद सितम्‍बर, 2015 को हुए भयंकर विस्‍फोट के कारण चर्चा में रहा।

 

      मध्यप्रदेश में भील जनजाति

  • भील शब्‍द की उत्‍पत्‍ती संस्‍कृत भाषा के ‘’भिल्‍ल’’ शब्‍द और द्रविड़ शब्‍द ‘’बील’’ अथवा तमिल भाषा के ‘’विल्‍लुवर’’ से मानी जाती है। जिसका शाब्दिक अर्थ ‘’धनुष’’ है। अर्थात् धनुष विद्या में निपुण होने के कारण इन्‍हें भील कहा जाता है।
  • जनसंख्‍या की दृष्टि से म.प्र. की सबसे बड़ी भील जनजाति है। तथा भारत की तीसरी बड़ी जनजाति है।

  • भील जनजाति पश्चिमी म.प्र. के धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगौन, बुरहानपुर, रतलाम, नीमच आदि जिलों में निवास करती है।

  •   इनका सबसे प्रिय शब्‍द मामा है।
  • भील प्रोटो ऑस्‍ट्रेलिया प्रजाति के अंतर्गत आते है।
  • उपजाति – भिलाला, पटालिया, राथियास, बैगास, बरेला, तड़वी (मुसलमान), उमड़ी उपजाति है।
  • उमड़ी उपजाति सबसे पिछड़ी उपजाति है। यह म.प्र. के शाजापुर और गुना जिले में निवास करती है।
  • भील जनजाति में गांव के मुखिया का गमेती कहा जाता है।
  • भील जनजाति का नायक मामा टंट्या भील है।
  •  म.प्र. के अतिरिक्‍त गुजरात, राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़, महाराष्‍ट्र, त्रिपुरा तथा पकिस्‍तान के सिंध क्षेत्र में निवास करती है।
  • भील जनजाति में वीर ‘’राणा पूंजा भील’’ सदैव पूजनीय है, जिन्‍होनें वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप जी के साथ मिलकर मुगलों के विरूध्‍द हल्‍दीघाटी का युध्‍द किया था। हल्‍दीघाटी राजस्‍थान राज्‍य में स्थित है। भील जनजाति राजस्‍थान में शौर्य का प्रतीक रही है।
  • सर्वाधिक जनसंख्‍या भीलो की झाबुआ जिले में है।

  • टी.बी. नायर ने अपनी किताब ‘’द भील’’ में भील जनजाति का विस्‍तृत वर्णन किया है।
  • कर्नल जेम्‍स टॉड ने भीलों को वन पुत्र कहा था।
  •  इनकी प्रसिध्‍द पिथौरा पेंटिग है। इसके कलाकार पेमा फाल्या और भूरी बाई है।

  • भिलाला उपजाति सबसे सर्वश्रेष्‍ठ मानी जाती है जो स्‍वयं को महाराणा प्रताप वंशज कहते है।

  • भील हिन्‍दु संस्‍कृति से अधिक प्रभावित है। यह दशहरा, दीपावली आदि त्‍यौहार बड़े उत्‍साह से बनाते है।
  • इनकी आय का प्रमुख साधन खेती और मजदूरी है।
  • यह जनजाति हिन्‍दु देवी देवता में से मुख्‍य रूप से महादेव की पूजा करती है।
  • प्रमुख विवाह – मंगनी विवाह, घर जमाई विवाह, नातरा विवाह, अपहरण विवाह, घर-घुस्‍सी विवाह, भगोरिया विवाह।
  • भील संसार की सबसे अधिक तरंग प्रिय प्रजाति है।
  • शराब भीलों के जीवन का एक अनिवार्य अंग है। जो विशेषकर ग्रीष्‍म ऋतु में ताड़ी पीना (कच्‍ची शराब) पसंद करते है।
  • भील जनजाति का प्रमुख देवता राजपंथा है।

  • इनके घर को ‘’कू’’ कहते है मोहल्‍ले को ‘’फाल्‍या‘’ कहते है।

  • भील जनजाति में गांव को ‘’पाल’’ कहते है।
  • भील जनजाति की स्त्रियों के द्वारा गहरी रंग की साड़ी पहनी जाती है। जिसे सिंदूरी कहा जाता है।
  •  दुल्‍हन द्वारा पहने जाने वाले वस्‍त्र को ‘’पीरिया’’ कहा जाता है।
  • भील जनजाति की महिला तेज रंग के कपड़े घाघरा तथा ओढ़नी पहनती है।
  •  इनके पुरूष कमीज तथा धोती पहनते है।
  • भील जनजाति में धोती को ‘’ठेपाड़ा’’ एवं सिर के साफा को ‘’पोत्‍या’’ कहते है। तथा लंगोटी को ‘’खोयतू’’ कहते है।
  • भील जनजाति में भगत (मदवी/बदवो) को सबसे पवित्र व्‍यक्ति माना जाता है।
  •  औषधि एवं रोगों का उपचार करने वाले को ‘’पुजारो’’ कहते है।
  • पूजा करने वाले तथा झाड़-फूंक करने वाले को भोपा कहा जाता है।
  • भील जनजाति में गांव का प्रशासन कोटवार/पटेल संभालते है।
  • झाबुआ में विश्‍व की पहली भीली भाषा की फिल्‍म ‘फैसला’ बनाई गई। इस फिल्‍म के डायरेक्‍टर कैलाश तिवारी थे।
  • भील जनजाति का फाइरे-फाइरे रणघोष है।
  • भील पाण्‍डा – सम्‍मान सूचक शब्‍द है।

भगोरिया पर्व झाबुआ जिला

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  • भगोरिया पर्व भील जनजातियों का विश्‍व प्रसिध्‍द त्‍यौहार है। यह त्‍यौहार म.प्र. के झाबुआ जिले में मनाया जाता है।
  •  उत्‍सव होली के अवसर पर सात दिन मनाया जाता है।
  • होली तथा विवाह के अवसर पर भील जनजाति में एक विशेष प्रकार का गोल गधेड़ा प्रथा प्रचलित है।
  •  भील राजा कासुमार और बालून ने भगोरिया मेले की शुरूआत की थी। भगोरिया भील जनजाति का विश्‍व प्रसिध्‍द पर्व झाबुआ जिले में बनाया जाता है। यह उत्‍सव होली के दिन से प्रारंभ होता है। भगोरिया उत्‍सव 7 दिन तक चलता है।
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  • झाबुआ का गाँधी महेश शर्मा को कहा जाता है।
  • झाबुआ जिले में अनुसूचित जाति न्‍यूनतम जनसंख्‍या एवं न्‍यूनतम प्रतिशत जनसंख्‍या वाला जिला झाबुआ है।

  • आदिवासी की बहुलता वाला झाबुआ जिला इंदौर संभाग का जिला है, जिसका मुख्‍यालय झाबुआ शहर है।

  • जिले में भील जनजाति तथा उसकी उपजातियों का मुख्‍य निवास है।
  • विश्‍व का दूसरो तथा भारत का पहला आदिवासी संचार शोध केन्‍द्र झाबुआ जिले में स्थित है। विश्‍व का पहला आदिवासी संचार शोध केन्‍द्र आस्‍ट्रेलिया में है।

  • 23 जुलाई 2011 को विश्‍व का पहला जनजातिय रेडियों केन्‍द्र झाबुआ जिले में स्‍थापित किया गया।

  • झाबुआ में उर्वरक कारखाना लगाए जाने की घोषणा केन्‍द्र सरकार द्वारा की गई।
  • मोहन कोट की नन्‍दर माता मंदिर और राम पंचायत मंदिर झाबुआ में स्थित है।

चंद्रशेखर आजाद का जन्म स्थल भावरा

  • भारत के महान क्रांतिकारी अमर शहीद चन्‍द्रशेखर आजाद की जन्‍म स्‍थली होने का गौरव प्राप्‍त है। उन्‍ही के नाम पर वर्ष 2007 में भाबरा का नाम बदलकर चन्‍द्रशेखर आजाद नगर कर दिया गया।अमर शहीद चन्‍द्रशेखर स्‍मृति मंदिर को स्‍मारक में बदल दिया गया इस स्‍मारक को 23 जुलाई लोकार्पित किया गया।

 

  • मयूर अभ्‍यारण म.प्र. के झाबुआ जिले में स्थित है।
  • सुन्‍दर गुड़िया व बांस के खिलौने हेतु झाबुआ जिला प्रसिध्‍द है।
  • झाबुआ जिले की गुड़ि‍या को राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तर्राष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त है।
  • रॉक फास्‍फेट खनिज का झाबुआ जिले के मेघनगर से सर्वाधिक उत्‍पादन होता है।

 

  कड़कनाथ मुर्गा – झाबुआ जिला

  • GI TAG पंजीयन – 8 फरवरी 2012
  • प्राप्त होने की तिथि – 1 मई 201
  •  खत्‍म तिथि – 7 फरवरी 2022
  • म.प्र. को 6वां GI TAG कड़कनाथ मुर्गे को दिया।
  • कड़कनाथ मुर्गे में सर्वाधिक प्रोटीन पाया जाता है।
  • कड़कनाथ मुर्गे को काली मासी के नाम से भी जाना जाता है।

 

              भौगोलिक संकेतक (GI TAG)

GI TAG किसी उत्‍पाद की उत्‍पत्ति को पहचानने के लिए एक संकेतक के रूप में दिए जाते हैा वस्‍तु (पंजीकरण व संरक्षण एक्‍ट 1999) के अनुसार जारी किए जाते है। यह वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा दिया जाता है। 

GI TAG का सलोगन ‘’अमूल्‍य भारत की अमूल्‍य निधि’’

 म.प्र. के प्रमुख GI TAG 

  1. चंदेरी की साड़ी
अशोकनगर
  1. महेश्‍वर की साड़ी
खरगौन
  1. बैल मेटल वेयर
दतिया/टीकमगढ़
  1. रतलामी सेव
रतलाम
  1. बाघ प्रिंट
धार
  1. कड़कनाथ मुर्गा
झाबुआ

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