चंबल नदी का उद्गम
- इंदौर के मऊ (अंबेडकर नगर ) स्थित जानापाव पहाड़ी (जिसकी ऊंचाई 854 मीटर है) के वाँग्चू प्वाइंट से हुआ है यहां पर परशुराम आश्रम तथा हनुमान मंदिर है ।
- चंबल नदी को अनेक नामों से जाना जाता है मध्य प्रदेश के भिंड , मुरैना , श्योपुर क्षेत्र में चंबल नदी को शापित नदी के नाम से , तथा राजस्थान में धर्मावती और कामधेनु के नाम से , कालिदास के मेघदूत में चंबल नदी को चर्मावती नाम से जाना जाता है l
- चंबल नदी को राजस्थान की जीवन रेखा कहा जाता है यह जल अपवाह तंत्र (क्षेत्र) के आधार पर राजस्थान की सबसे बड़ी नदी है l
- चंबल नदी की लंबाई 965 किलोमीटर है यह इंदौर , धार , रतलाम , उज्जैन , मंदसौर से राजस्थान के चित्तौड़गढ़ , कोटा , बूंदी , सवाई माधोपुर जिले से मध्य प्रदेश के श्योपुर , मुरैना , भिंड के साथ राजस्थान के धौलपुर और करौली जिले में प्रवेश करने के पश्चात उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना नदी से मिलती है l
- चंबल नदी की सबसे बड़ी सहायक बनास नदी है जो राजस्थान की सबसे बड़ी नदी है बनास नदी कोटा के पास बायीं ओर से चंबल में मिलती है।
- श्योपुर , मुरैना ,भिंड ,धौलपुर , करौली में चंबल नदी , मृदा अपरदन करती है यहां मृदा का अवनालिका अपरदन होता है जिससे (Gully Erosion) गली एरोजन कहां जाता है , इस अपरदन के आगे की अवस्था बीहड़ (Reviens) तथा इसके आगे की अवस्था मृदा उत्खान (Soil Bad Topography) कहलाती है ।
- चंबल नदी इंदौर में चार जलप्रपात का निर्माण करती है झाड़ी दाह जलप्रपात ,पातालपानी जलप्रपात , जोगी भड़क जलप्रपात , टिंचाफॉल जलप्रपात ।
- चंबल नदी पर कोटा की भैंसरोडगढ़ तहसील में चूलिया जलप्रपात है जो चंबल नदी पर स्थित सबसे ऊंचा जलप्रपात है ।
- चंबल पर मंदसौर में गांधी सागर मानव निर्मित झील या कृत्रिम जलाशय है ।
- मंदसौर में चंबल नदी के किनारे सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल इंद्रगढ़ ,आवरा , हिंगलाजगढ़ है ।
- मंदसौर का प्राचीन नाम दशपुर था यह शिवना नदी के तट पर स्थित है ।
- चंबल नदी मध्य प्रदेश , राजस्थान की उत्तरी सीमा निर्धारित करती है |
चंबल नदी घाटी परियोजना
प्रदेश की पहली परियोजना है यह मध्यप्रदेश और राजस्थान की सम्मिलित परियोजना है इसके तीन चरण हैं |
1.गांधी सागर परियोजना –
इस परियोजना का उद्घाटन 1953 में हुआ तथा इससे उत्पादन 1960 में शुरू हुआ | इस परियोजना से 115 मेगावाट बिजली उत्पादन होता है यह मध्य प्रदेश की पहली नदी जल विद्युत परियोजना है ।
2.राणा प्रताप सागर परियोजना –
चित्तौड़गढ़ में राणा प्रताप सागर परियोजना 1964 में शुरू हुई , इस परियोजना से 172 मेगावाट बिजली उत्पादन होता है ।
3. जवाहर सागर परियोजना –
कोटा में जवाहर सागर परियोजना 1971 में शुरू हुई , इससे 99 मेगावाट बिजली उत्पादन होता है कोटा बैराज से चंबल नहर निकली है जिसमें दायीं नहर से मध्य प्रदेश तथा बायीं नहर से राजस्थान में सिंचाई की जाती है ।
चंबल नदी पर राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण है जिसका विस्तार मध्य प्रदेश राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में है |
मध्यप्रदेश में चंबल नदी की सहायक क्षिप्रा नदी , पार्वती तथा काली सिंध नदी है |
क्षिप्रा नदी –
- क्षिप्रा नदी की लंबाई 195 किलोमीटर है |
- इसका उद्गम इंदौर के काकरा बाड़ी से हुआ है |
- यह उज्जैन , रतलाम होते हुए राजस्थान के झालावाड़ जिले में चंबल नदी से मिलती है |
- क्षिप्रा नदी को अनेक उप नामों से जाना जाता है, क्षिप्रा नदी को मालवा की गंगा भी कहते हैं इसके अतिरिक्त क्षिप्रा नदी को पुण्य सलिला और पाप हरणी नदी भी कहते हैं |
- क्षिप्रा नदी के तट पर दक्षिणेश्वर महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है |
- इसके अतिरिक्त क्षिप्रा नदी के तट पर गोपाल मंदिर , चिंतामणि गणेश मंदिर , नागचंद्रेश्वर मंदिर भी स्थित है |
- उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर 2016 में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था , उस समय सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है , इसीलिए सिंहस्थ कुंभ कहा जाता है |
- प्रदेश की पहली नदी जोड़ो योजना जो पूर्ण हुई है क्षिप्रा – नर्मदा लिंक परियोजना है इस परियोजना के द्वारा देवास के कन्नौद में पंपिंग स्टेशन बनाकर नर्मदा नदी का पानी क्षिप्रा नदी तक पहुंचाया गया है |
कालीसिंध नदी –
- कालीसिंध नदी की लंबाई 278 किलोमीटर है | इसका उद्गम देवास के बागली गांव से हुआ है |
- यह देवास में सोनकच्छ ( पुष्पगिरी ) , शाजापुर और राजगढ़ होते हुए , राजस्थान के झाल बाड़ा जिले के निकट में चंबल नदी से मिलती है |
- देवास के सोनकच्छ में खिवनी राष्ट्रीय अभ्यारण कालीसिंध नदी पर स्थित है |
- कालीसिंध नदी की सहायक नदी – नेवज , परवन और राजस्थान में आहू नदी है |
पार्वती नदी –
- पार्वती नदी की लंबाई 383 किलोमीटर है |
- यह सीहोर के आष्टा से निकलती है |
- शाजापुर , राजगढ़ होते हुए गुना को स्पर्श करते हुए कोटा जिले में चंबल से मिलती है |
- राजगढ़ स्थित ब्यावरा , जिसे मध्य प्रदेश का चौराहा कहा जाता है , इसी नदी के किनारे स्थित है |
- ब्यावरा में चेदी का मेला लगता है |
- राजगढ़ में स्थित नरसिंहगढ़ , जिसे ‘ मालवा ए कश्मीर ‘ भी कहते हैं , इसी नदी के किनारे स्थित है |