केन नदी का उद्गम

विंध्याचल श्रेणी स्थित कैर्मूस पहाड़ी (कटनी के निकट) से केन नदी का उद्गम हुआ है ।

केन नदी को अनेक नामों से जाना जाता है

  1. भानुमति
  2. शुक्तिमती
  3. दिर्णावती
  4. कर्णावती ।

केन नदी किन किन जिलों से गुजरती है

  •  कटनी से पन्ना , छतरपुर से उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना से मिलती है 
  • पन्ना में केन नदी पर जलप्रपात

  1. पाण्डवन जलप्रपात
  2. गाथा जलप्रपात
  • छतरपुर में केन नदी पर जलप्रपात

  1. रनेह जलप्रपात ।

केन नदी पर कौन-कौन से बांध हैं

  • कटनी में केन नदी पर कोहिरा बांध है ।
  • पन्ना में केन नदी पर डोढ़न बांध स्थित है इसी स्थान से केन बेतवा लिंक परियोजना प्रस्तावित है जिसके कारण पन्ना राष्ट्रीय उद्यान( टाइगर रिजर्व ) का बड़ा क्षेत्रफल प्रभावित होगा ।इस योजना में केन नदी से जल बेतवा नदी में भेजा जाएगा ।
  • केन नदी  में शजर पत्थर मिलता है जिसका विस्तार पन्ना के अजयगढ़ से बांदा जिले तक है , इस पत्थर को मशीन पर साफ करने से इसमें पशु पक्षी पेड़ पौधे एवं अन्य मानव आकृति दिखाई देती है जिससे इसकी बहुत अधिक स्तर पर तस्करी कर व्यापारिक उपयोग किया जाता है।
  • केन नदी मध्यप्रदेश की एकमात्र नदी है जो प्रदूषण मुक्त है |

 

 

केन बेतवा लिंक परियोजना

केन बेतवा लिंक परियोजना।

 उर्मिल नदी

छतरपुर से निकलती है और उत्तर प्रदेश के बांदा के पास केन में मिलती है

उर्मिल परियोजना

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है जिसमें बांध का निर्माण यूपी द्वारा तथा सिंचाई नहर मध्यप्रदेश द्वारा मनाई जाएगी , इसमें मध्य प्रदेश की 60% तथा उत्तर प्रदेश की 40% हिस्सेदारी होगी उर्मिल नदी पर छतरपुर में

  • सिंहबैराज सिंचाई परियोजना

  • ग्रेट गंगऊ परियोजना

  • बरियारपुर परियोजना स्थित है

  • उर्मिल नदी से छतरपुर के लवकुशनगर को जलापूर्ति होती है
  • छतरपुर का चरण पादुका स्थल जो मध्य प्रदेश का जलियांवाला बाग कांड कहलाता है उर्मिल नदी के तट पर स्थित हैं ।

  • रामचंद्र जी के वनवास के समय यहां से गुजरने के प्रमाण हैं जिसके कारण इसे चरण पादुका स्थल कहा गया है ।
  • वेनी सागर बांध छतरपुर में उर्मिल की सहायक खुद्दार नदी पर स्थित है जिससे खजुराहो को जलापूर्ति होती है ।

तमसा / तमस / टोंस नदी का उद्गम

  • सतना के तमसा कुंड से निकलती है इलाहाबाद में गंगा से मिलती है ।

बहुटी-केवटी तथा पियावन जलप्रपात

  • इसकी सहायक रीवा से निकलने वाली बीहड़ नदी है  बीहड़ नदी पर रीवा में बहुटी-केवटी तथा पियावन जलप्रपात हैं

चचाई जलप्रपात

  • बीहड़ नदी पर प्रसिद्ध चचाई जलप्रपात है ,जो मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात है मध्यप्रदेश का नियाग्रा चचाई जलप्रपात को कहा जाता है ।इसकी ऊंचाई 130 मीटर चौड़ाई 175 मीटर गहराई 115 मीटर है ।

भारत का नियाग्रा

  • चित्रकूट जलप्रपात को भारत का नियाग्रा जलप्रपात कहते हैं जो इंद्रावती नदी पर छत्तीसगढ़ बस्तर में स्थित है ।

सोन नदी का उद्गम

  • मैकल श्रेणी स्थित अमरकंटक से सोन नदी निकलती है ।
  • अमरकंटक से नर्मदा और जोहिला नदी का उद्गम होता है ।
  • जोहिला , सोन की सहायक नदी है ।
  • सोन नदी शहडोल सीधी से उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती है इसके बाद बिहार पटना में गंगा में मिलती है इसकी सहायक उत्तर प्रदेश में रिहंद नदी है जिस पर रेणुकूट लौह इस्पात कारखाना स्थित है ।
  • रिहंद बांध पर रिहंद जलाशय जिसे गोविंद बल्लभ पंत सागर जलाशय भी कहते हैं यह भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है ।
  • बिहार में सोन व गंगा के संगम पर सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है |

मंदाकिनी नदी

चित्रकूट से निकलती है तथा यमुना की मध्यप्रदेश में सबसे पूर्वी सहायक नदी है ।

केन बेतवा लिंक परियोजना

  • भारत की पहली नदी जोड़ो योजना है |
  • 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के द्वारा केन बेतवा लिंक परियोजना की नींव रखी गई थी |
  • केन बेतवा लिंक परियोजना भारत की 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में से पहली नदी जोड़ो परियोजना थी |
  • 2005 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच इस परियोजना को लेकर समझौता हुआ था जिसके अंतर्गत केन नदी पन्ना में स्थित डोढ़न बांध को झांसी स्थित परीछा बांध (बरुआसागर ) जो की बेतवा नदी पर स्थित है ,को 221 किलोमीटर लंबी नहर के माध्यम से जोड़ा जाएगा तथा केन नदी का पानी बेतवा नदी में नहर के माध्यम से लाया जाएगा ।
  • 2005 में इस परियोजना की लागत 8000 करोड़ रुपए आंकी गई थी जोकि 2021 में लगभग 75 हजार करोड़ हो गई है इस तरह 16 साल की देरी के कारण इस परियोजना का खर्च  लगभग 10 गुना हो गया है |

केन बेतवा लिंक परियोजना में देरी के कारण

  • इस परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व डूब क्षेत्र में आ जाएगा , जिसे स्थानांतरित किया जाना है |
  •  इसमें कुछ गांव का पुनर्वास  किया जाना है |
  • उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद के चलते भी यह परियोजना पिछड़ चुकी है |

लेकिन केंद्र सरकार की प्रयास से 2021 में उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश की सरकारें पानी बंटवारे को लेकर सहमत होने के कारण इस परियोजना पर कार्य शुरू होने की संभावना बढ़ गई है इस परियोजना में खर्च राशि का कुल 90% केंद्र सरकार द्वारा तथा शेष 10% उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों के द्वारा खर्च उठाया जाएगा |इस परियोजना के पूर्ण होने पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की लगभग 8:30 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो जाएगी| यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास के लिए विशेष महत्व रखती है |

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